आज बदल गई है फितरत इन्सान की क्यूँ समझ वो पाते नही। आज बदल गई है फितरत इन्सान की क्यूँ समझ वो पाते नही।
कृपणता एक बड़ा अभिशाप है, यह एकता का शत्रु और स्वार्थ का मित्र है। कृपणता एक बड़ा अभिशाप है, यह एकता का शत्रु और स्वार्थ का मित्र है।
भारत देश को हम महान बताते हैं। बस कथनी और करनी में थोड़ा सा अंतर कर जाते हैं। भारत देश को हम महान बताते हैं। बस कथनी और करनी में थोड़ा सा अंतर कर जाते हैं...
न कोई बड़ा किसी से, कोई न जहाँ छोटा हो हर चेहरा ख़रा - ख़रा, कोई भी न खोटा हो, खोल दे दिल की गिरह, मु... न कोई बड़ा किसी से, कोई न जहाँ छोटा हो हर चेहरा ख़रा - ख़रा, कोई भी न खोटा हो, खो...
बात सुनलो नफ़रतों को करदो दूर से शुक्रिया। बात सुनलो नफ़रतों को करदो दूर से शुक्रिया।
वहीं हजार पत्ता से एक घर बन जाता है वहीं हजार पत्ता से एक घर बन जाता है